खिलजी वंश (1290 से 1320 ई० तक)

खिलजी वंश: 1290 से 1320 ई० तक
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
  1. गुलाम वंश के शासक को समाप्त कर 13 जून 1290 ईसवीं को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की ।
  2. इसने किलोकर को अपनी राजधानी बनाया।
  3. जलालुद्दीन की हत्या 1296 में उसके भतीजा एवं दमाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी।

अलाउद्दीन खिलजी

  • 22 अक्टूबर 1296 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना।
  • अल्लाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्य था।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थाई सेना की नीव रखी।
  • घोड़ा दागने एवं सैनिकों की हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की।
  • अल्लाउद्दीन में भू राजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1 बटा 2 भाग कर दिया।
  • इस में व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया।
  • दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा।
  • जमैयत खाना मस्जिद, अलाई दरवाजा, सीरी का किला, तथा हजार खंभा महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
  • दैवी अधिकार के सिद्धांत को अलाउद्दीन ने चलाया था।
  • सिकंदर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को अउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया।
  • अलाउद्दीन ने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया।
  • आमिर खुसरो अलाउद्दीन के दरबारी कवि थे इन्हें सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।
  • अमीर खुसरो का जन्म इटावा में हुआ था । इसे तूती-ए-हिंद (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है।
  • अलाउद्दीन ने मलिक याकूब खुद दीवान-ए-रियासत नियुक्त किया था।
  • खजाइनुल-फतुह आमिर खुसरो की रचना थी।
  • इब्नबतूता की रचना रिहला है।
  • फुतूहस्सलातीन के रचनाकार इसामी है।
  • जजिया कर गैर मुसलमानों से लिया जाता था।
  • जकात कर मुसलमानों से लिया जाता था जो एक धार्मिक कर था, यह संपत्ति का 40वां हिस्सा होता था।
  • अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी 1316 ईसवी को हो गई।

कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी
  • कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी 1316 ईसवी को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा इसे नग्न स्त्री पुरुष की संगत पसंद थी।
  • मुबारक खिलजी कभी-कभी राज दरबार में स्त्रियों का वस्त्र पहनकर आ जाता था।
  • बरनी के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
  • मुबारक खान ने स्वयं को खलीफा की उपाधि दी थी।
  • मुबारक के वजीर खुसरो खान ने 15 अप्रैल 1320 ईस्वी को उसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
  • खुसरो खान ने पैगंबर के सेनापति की उपाधि धारण की।

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