मुगल साम्राज्य में जहाँगीर का इतिहास (1605-1627 ई)

जहाँगीर का इतिहास (1605-1627 ई)


  • अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ, जो 3 नवम्बर 1605 ई को नुरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा.
  • जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 ई में हुआ था.
  • अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा.
  • जहाँगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है. यह जंजीर सोने की बनी थी. जो आगरे के किले के शाहबुर्ज और यमुना तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाई हुई थी.
  • जहाँगीर द्वारा शुरु की गई तुजुके-ए-जहाँगीरी नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिन्द खाँ को है.
  • जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरों ने 1606 में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. खुसरो और जहाँगीर की सेना के बीच युद्ध जालन्धर के निकट भैरावल नामक मैदान में हुआ. खुसरों को पकड़कर कैद में डाल दिया गया.
  • खुसरों की सहायता देने के कारण जहाँगीर ने सिक्को के 5 वे गुरु अर्जुनदेव को फाँसी दिलवा दी. खुसरों गुरु से गोइंदवाल में मिला था.
  • अहमदनगर के वजीर मलिक अम्बर के विरुद्ध सफलता से खुश होकर जहाँगीर ने खुर्रम को शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की.
  • 1622 ई में कंधार मुगलों के हाथ से निकल गया. शाह अब्बास ने इस पर अधिकार कर लिया.
  •  नूरजहाँ- 
    • ईरान निवासी मिर्जा गयास बेग की पुत्री नूरजहाँ का वास्तविक नाम मेहरुन्निसा था. 1594 ई में नूरजहाँ का विवाह अलिकुली बेग से सम्पन्न हुआ. जहाँगीर ने एक शेर मारने के कारण अली कुली वेग को शेर अफगान की उपाधि प्रदान की. 1607 ई शेर अफगान की मृत्यु के बाद मेहरुन्निसा अकबर की विधवा सलीमा बेगम की सेवा में नियुक्त हुई. सर्वप्रथम जहाँगीर ने नवरोज त्यौहार के अवसर पर मेहरुन्निसा को देखा और उसके सौदर्य पर मुग्ध होकर जहाँगीर ने मई 1611 में उससे विवाह कर लिया. विवाह के पश्चात जहाँगीर ने उसे नूरमहल और नूरजहाँ की उपाधि प्रदान की.
  • जहाँगीर ने नियास बेग को शाही दीवान बनाया और इतमाद-उद-दौला की उपाधि दी.
  • लाडली बेगम शेर अफगान और मेहरुन्निसा की पुत्री थी, जिसकी शादी जहाँगीर के पुत्र शहरयार के साथ हुई थी.
  • नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी.
  • महावत खाँ ने झेलम नदी के तट पर 1626 ई जहाँगीर, नूरजहाँ और उसके भाई आसफ खाँ को बंदी बना लिया था.
  • जहाँगीर के पाँच पुत्र थे – (1) खुसरो, (2) परवेज, (3) खुर्रम, (4) शहरयार, (5) जहाँदार.
  • 7 नवम्बर 1627ई को भीमवार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु हो गई. उसे शहादरा लौहार में रावी नदी के किनारे दफनाया गया.
  • मुग़ल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर जहाँगीर के शासनकाल में पहुँची
  • जहाँगीर के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे. आगा रजा, अबुल हसन, मुहम्मद नासिर, मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, विशनदास, मनोहर और गोवर्धन, फारुख बेग, दौलत.
  • जहाँगीर ने आगा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रण शाला की स्थापना की.
  • उस्ताद मंसूर और अबुल हसन को जहाँगीर ने क्रमश: नादिर-अल-उस और नादिरुज्जमा की उपाधि प्रदान की.
  • जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति का जीवित व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो, मैं देखते ही तुरंत बता सकता हूँ कि यह किस चित्रकार की कृति है. यदि किसी चेहरे पर आँख किसी एक चित्रकार ने, भौह किसी और ने बनाई हो, तो भी यह जान लेता हूँ कि आँख किसने और भौह किसने बनायी है.
  • जहाँगीर के सम्यक को चित्रकला का स्वर्णकला कहा जाता है.
  • इतमाद-उद-दौला का मकबरा 1626 ई में नूरजहाँ बेगम ने बनवाया. मुगलकालीन वास्तुकला के अंतर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्णरूप से बेदाग़ सफ़ेद संगमरमर से निर्मित है सर्वप्रथम इसी इमारत में पित्रदुरा नामक जड़ाऊ काम किया गया.
  • अशोक के कौशाम्बी स्तम्भ पर समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति तथा जहाँगीर का लेख उत्कीर्ण है.
  • जहाँगीर के मकबरा का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था.
  • जहाँगीर के शासनकाल में केप्टन हान्किंस, सर टॉमस रो, विमियम फिंच और एडवर्ड टेरी जैसे यूरोपीय यात्री आये थे.

Comments

Popular posts from this blog

स्वतंत्र प्रांतीय राज्य

विजयनगर साम्राज्य

सल्तनत काल