मुगल साम्राज्य में शाहजहाँ का इतिहास (1627 – 1657 ई)

मुगल साम्राज्य में शाहजहाँ का इतिहास (1627 – 1657 ई)

  • जहाँगीर के बाद सिंहासन पर शाहजहाँ बैठा.
  • जौधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी 1592 ई को खुर्रम शाहजहाँ का जन्म लाहौर में हुआ था.
  • 1612 ई में खुर्रम का विवाह आसफ खाँ की पुत्री अरजुमंद बानो बेगम से हुआ, जिसे शाहजहाँ ने मिलिका-ए-जमानी की उपाधि प्रदान की. 1631 ई में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई.
  • 24 फ़रवरी 1628 ई को शाहजहाँ आगरे में अबुल मुज्जफर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा.
  • शाहजहाँ ने आसफ खाँ को वजीर पद प्रदान किया.
  • इसने नूरजहाँ को दो लाख रुपए प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने दिया, जहाँ 1645 ई में उसकी मृत्यु हो गई.
  • अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण आगरे में उसकी कब्र के ऊपर करवाया.
  • ताजमहल का निर्माण करनेवाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था.
  • मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था. इसका मुख्य कलाकार वे बादल खाँ था.
  • शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयुग कहा जाता है. शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई प्रमुख इमारते है. दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली जामा मस्जिद, आगरा मोती मस्जिद, ताजमहल आदि.
  • शाहजहाँ ने 1638 ई ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए यमुना नदी के दाहिने तट पर शाहजहाँनाबाद की नीव डाली.
  • आगरे के जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने करवाई.
  • शाहजहाँ के दरबार के प्रमुख चित्रकार मुहम्मद फ़क़ीर और मीर हासिम थे.
  • शाहजहाँ ने संगीतज्ञ लाल खाँ को गुण समंदर की उपाधि दी थी.
  • शाहजहाँ के पुत्रों में दाराशिकोह सर्वाधिक विद्वान था. इसने भगवदगीता, योगवशिष्ट उपनिषद और रामायण का अनुवाद फ़ारसी में करवाया. इसने सर्र-ए-अकबर महान रहस्य नाम से उपनिषदों का अनुवाद करवाया था.
  • शाहजहाँ ने दिल्ली में एक कॉलेज का निर्माण और दार्रुल बका नामक की मरम्मत कराई.
  • शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकारी का युद्ध 1657 ई में शुरु हुआ.
  • 18 जून 1658 को औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना लिया.
  • 25 अप्रैल 1658 ई में द्वारा और औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ. इस युद्ध में दारा की पराजय हुई.
  • सामुगढ़ का युद्ध 8 जून 1658 को द्वारा और औरंगजेब के बीच हुआ. इस युद्ध में भी दारा की हार हुई.
  • उत्तराधिकारी का अंतिम युद्ध देवराई की घाटी में 12 से 14 अप्रैल 1659 ई को हुआ. इस युद्ध में दारा के पराजित होने पर उसे इस्लाम धर्म की अवहेलना करने के अपराध में 30 अगस्त 1659 ई हत्या कर दी गई.
  • शाह बुलंद इकबाल के रूप में दारा शिकोह जाना जाता है.
  • आगरे के किले में अपने कैदी जीवन के आठवे वर्ष अर्थात 31 जनवरी 1666 ई को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहाँ की मृत्यु हो गई.

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