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Showing posts from October, 2017

भारत पर अरबों का आक्रमण

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भारत पर अरबों का आक्रमण मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण किया। अरबों ने सिंध पर 712ई० में विजय पाई थी। अरब आक्रमण के समय सिंध पर दाहिर का शासन काल था। भारत पर अरब वासियों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन-दौलत लूटना तथा इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था। महमूद गजनी अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार गजनी साम्राज्य का संस्थापक था। अलप्तगीन का गुलाम तथा दमाद - सुबुक्तगीन था। महमूद गजनी सुबुक्तगीन का पुत्र था। अपने पिता के काल में गजनी खुरासान का शासक था। मोहम्मद गजनी 27 वर्ष की अवस्था में 998 ईस्वी में गद्दी पर बैठा। बगदाद का खलीफा अलादीन बिल्लाह ने महमूद गजनी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे 'यमीन-उद-दौला' तथा 'यामीन-ऊल-मिल्लाह' की उपाधि दी। महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। महमूद गजनी ने भारत पर पहला आक्रमण 1001 ईस्वी में किया था। यह आक्रमण शाही राजा जयपाल के विरुद्ध था इसमें जयपाल की पराजय हुई थी। महमूद गजनी का 1008 ईसवी में नगरकोट के विरुद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बताई जाती ह...

सल्तनत काल

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सल्तनत काल सन् 1206 में जब मोहम्मद गौरी की मृत्यु हुई उसका एक महत्वपूर्ण गुलाम अधिकारी कुतुबुद्दीन ऐबक था। उसने गौरी के राज्य से अपना सम्बंध तोड़ दिया और भारत में ही तुर्क राज्य को मज़बूत बनाया। इस राज्य का सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक खुद बना। यह राज्य अब तुर्की सल्तनत कहलाया। अगले शासक इल्तुतमिश ने 1210ई. में सत्ता सँभालने के साथ दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया, तब यह दिल्ली सल्तनत के नाम से प्रसिद्ध हो गया। गुलाम वंश गुलाम वंश की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था वह गौरी का गुलाम था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्यभिषेक 24 जून 1286 को किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनाई थी। कुतुबमीनार की नीव कुतुबुद्दीन ऐबक ने डाली थी। दिल्ली का 'कुवैत-उल-इस्लाम' मस्जिद एवं अजमेर का 'ढाई दिन का झोपड़ा' नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख़्श (लाखों का दान देने वाला) भी कहा जाता था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने का कार्य कुतुबुद्दीन ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी का था।...

खिलजी वंश (1290 से 1320 ई० तक)

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खिलजी वंश: 1290 से 1320 ई० तक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी गुलाम वंश के शासक को समाप्त कर 13 जून 1290 ईसवीं को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । इसने किलोकर को अपनी राजधानी बनाया। जलालुद्दीन की हत्या 1296 में उसके भतीजा एवं दमाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। अलाउद्दीन खिलजी 22 अक्टूबर 1296 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना। अल्लाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्य था। अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थाई सेना की नीव रखी। घोड़ा दागने एवं सैनिकों की हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की। अल्लाउद्दीन में भू राजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1 बटा 2 भाग कर दिया। इस में व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया। दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा। जमैयत खाना मस्जिद, अलाई दरवाजा, सीरी का किला, तथा हजार खंभा महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था। दैवी अधिकार के सिद्धांत को अलाउद्दीन ने चलाया था। सिकंदर-...

तुगलक वंश(1320 से 1398 इसवी तक)

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तुगलक वंश (1320 से 1398 इसवी तक) गयासुद्दीन तुगलक 5 सितंबर 1320 ईस्वी को खुसरो खान को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितंबर 1320 ईस्वी को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। गयासुद्दीन तुगलक ने करीब 29 बार मंगोल आक्रमण को विफल किया। गयासुद्दीन ने आलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया। इसने सिंचाई के लिए कुवे एवं नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था। गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नामक एक नया नगर स्थापित किया। रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ। इस दुर्ग को को 56 कोट के नाम से भी जाना चाहता है। गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 60 में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खां द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गई। मोहम्मद बिन तुगलक गयासुद्दीन के बाद जूना खां मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा । मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मोहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान, एवं योग्य व्यक्ति था। मोहम्मद बि...

सैय्यद वंश (1414-1451 ई० )

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सैय्यद वंश (1414-1451 ई० ) सैय्यद वंश का संस्थापक था – खिज्र खां. इसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर अपने को रैयत-ए-आला की उपाधि से ही खुश रखा. खिज्र खा तैमुरलंग का सेनापति था. भारत से लौटते समय तैमुरलंग ने खिज्र खा को मुल्तान लाहौर और दिपालपुर का शासक नियुक्त किया. खिज्र खा नियमित रूप से तैमूर के पुत्र शाहरुख़ को कर भेजा करता था. खिज्र खा की मृत्यु 20 मई 1421 ई में हो गई. खिज्र खा के पुत्र मुबारक खा ने शाह की उपाधि धारण की थी. याहिया बिन अहमद सरहिन्दी को मुबारक शाह का संरक्षण प्राप्त था. इसकी पुस्तक तारीख-ए-मुबारक शाही में सैय्यद वंश के विषय में जानकारी मिलती है. यमुना के किनारे मुबारकाबाद की स्थापना मुबारक शाह ने की थी. सैय्यद वंश का अंतिम सुल्तान अलाउद्दीन आलम शाह था. सैय्यद वंश का शासन करीब 37 वर्षो तक रहा.

लोदी वंश

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लोदी वंश (1451 से 1526 ईस्वी तक) लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था। 19 अप्रैल 1451 ई० को बहलोल 'बहलोल शाहगाजी' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय बहलोल लोदी को दिया जाता है। बहलोल लोदी ने बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया। वह अपने सरदारों को मकसद-ए-अली कह कर पुकारता था। निजाम ख़ान (सिकंदर लोदी) 1489-1517ई० बहलोल लोदी का पुत्र निजाम ख़ान 17 जुलाई 1489 ईस्वी में 'सुल्तान सिकंदर शाह' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। भूमि के लिए मापन के प्रमाणिक पैमाना गजे सिकंदरी का प्रचलन सिकंदर लोदी ने किया। 1540 ई० में सिकंदर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की। 'गुलरूखी' शीर्षक से फारसी कविता लिखने वाला सुल्तान सिकंदर लोदी था। सिकंदर लोदी ने आगरा को अपनी नई राजधानी बनाया। इसके आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में 'फरहंगे सिकंदरी' के नाम से अनुवाद हुआ। इसने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को मांस तौलने के लिए दे दिया था। इसने मुसलमानों को त...

सल्तनतकालीन शासन व्यवस्था

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सल्तनतकालीन शासन व्यवस्था  केन्द्रीय प्रशासन का मुखिया – सुल्तान बलबन और अलाउद्दीन के समय अमीर प्रभावहीन हो गए. अमीरों का महत्व चरमोत्कर्ष पर था. लोदी वंश के शासनकाल में. सल्तनतकाल में मंत्रिपरिषद को मजलिस-ए-खलवत कहा गया. मजलिस-ए-खास में मजलिस-ए-खलवस की बैठक होती थी. बार-ए-खास इसमें सुल्तान सभी दरबारियों, खानों, अमीरों, मालिको और अन्य रईसों को बुलाता था. बार-ए-आजम सुल्तान राजकीय कार्यों का अधिकांश भाग पूरा करता था. मंत्री और उससे सम्बंधित विभाग  वजीर (प्रधानमन्त्री) – राजस्व विभाग का प्रमुख. मुशरिफ-ए-मुमालिक (महालेखाकार) – प्रान्तों और अन्य विभागों से प्राप्त आय और व्यय का लेखा जोखा. मजमुआदर – उधार दिए गए धन का हिसाब रखना. खजीन – कोषाध्यक्ष आरिज-ए-मुमालिक – सेन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी. इसके विभाग को दीवान-ए-अर्ज कहा जाता था. सद्र-उस-सुदूर – धर्म विभाग और दान विभाग का प्रमुख. काजी-उल-कजात – सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी बरीद-ए-मुमालिक – गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी वकील-ए-दर – सुल्तान की व्यक्तिगत सेवाओ की देखभाल करता था. सुल्तान की...

विजयनगर साम्राज्य

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विजयनगर साम्राज्य विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336ई० में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। विजयनगर का शाब्दिक अर्थ है- जीत का शहर। विजयनगर साम्राज्य क्रमशा निम्न वंश ने शासन किया- संगम,  सलुब,  तुलुब एवं  अरावीडु वंश । संगम वंश हरिहर एवं बुक्का ने विजयनगर की स्थापना की विद्यारण्य संत से आशीर्वाद प्राप्त करके की थी। हरिहर एवं बुक्का ने अपने पिता संगम के नाम पर संगम राजवंश की स्थापना की। विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी थी। विजयनगर साम्राज्य के खंडहर तुगंभद्रा नदी पर स्थित है। हरिहर एवं बुक्का पहले काकतीय शासक प्रताप रुद्रदेव के सेवक थे। हरिहर द्वितीय ने संगम शासकों में सबसे पहले महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। इटली का यात्री निकोलो कांटी विजयनगर की यात्रा पर देवराय प्रथम के शासनकाल में आया था। फारसी राजदूत अब्दुल रजाक देवराय द्वितीय के शासनकाल में विजयनगर आया था। संगम वंश का सबसे प्रतापी राजा देवराय द्वितीय था। इससे इमाडिदेवराय भी कहा जाता था। प्रसिद्ध तेलुगु कवि श्रीनाथ कुछ दिनों तक देवराय द्वितीय के दरबार में रहे। एक अभिलेख में...

बहमनी राज्य

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बहमनी राज्य मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में 1347 ईस्वी में हसनगुंग ने बहमनी राज्य की स्थापना की वह अलाउद्दीन बहमन शाह के नाम से सिंहासन पर बैठा । इसने अपनी राजधानी गुलबर्गा को बनायी। इसने अपने साम्राज्य को चार प्रांतों में गुलबर्गा, दौलताबाद, बरार, एवं वीदर में बांटा। इसकी मृत्यु 11 फरवरी 1358 ई० को हो गई। बहमनी वंश के प्रमुख शासक मोहम्मद शाह प्रथम 1358 से 1375 ई० अलाउद्दीन मुजाहिद शाह 1375 से 1378 ई० दाऊद प्रथम 1378 ई० मोहम्मद शाह द्वितीय 1378 से 1397 ई० ताजुद्दीन फिरोज 1397 से 1422 ई० शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम 1422 से 1436 ई० अलाउद्दीन अहमद द्वितीय 1436 से 1458 ई० सुल्तान शमसुद्दीन मोहम्मद तृतीय 1463 से 1482 ई० भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद की स्थापना ताजुद्दीन फिरोज ने की थी। शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम ने अपनी राजधानी गुलबर्गा से हटाकर बीदर में स्थापित की इसने बीदर का नया नाम मुहम्मदाबाद रखा। मोहम्मद तृतीय के शासनकाल में ख्वाजा जहां की उपाधि से महमूद गवां को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। महमूद गवां बीदर में एक महाविद्यालय की स्थापना कराई। रियाजुल इंशा नाम स...

स्वतंत्र प्रांतीय राज्य

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स्वतन्त्र प्रांतीय राज्य जौनपुर जौनपुर की स्थापना फिरोजशाह तुगलक ने अपने भाई जौना खां की स्मृति में की थी। जौनपुर में स्वतन्त्र शर्की राजवंश की स्थापना मलिक सरवर ख्वाजा जहांन ने की थी। अटालादेवी  की मस्जिद का निर्माण 1408 ईस्वी में शर्की सुल्तान इब्राहिम शाह द्वारा किया गया था। अटाला देवी मस्जिद का निर्माण कन्नौज के राजा विजय चंद्र द्वारा निर्मित अटाला देवी के मंदिर को तोड़कर किया गया था। जामी मस्जिद का निर्माण 1470 ई० में हुसैन शाह शर्की के द्वारा किया गया था। झंझरी मस्जिद 1430 ईस्वी में इब्राहिम शर्की के द्वारा एवं लाल दरवाजा मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह के द्वारा 1450 ईस्वी में किया गया था। शर्की शासन के अंतर्गत विशेषकर इब्राहिम शाह के समय में जौनपुर में साहित्य एवं स्थापत्य कला के क्षेत्र में हुए विकास के कारण जौनपुर को भारत के सिराज के नाम से जाना गया। लगभग 75 वर्ष स्वतंत्र रहने के बाद जौनपुर पर बहलोल लोदी ने कब्जा कर लिया । कश्मीर सुहा देव नामक एक हिंदू ने 1301 ईस्वी में कश्मीर में हिंदू राज्य की स्थापना की थी। 1339 से 1340 ईसवी में कश्मीर में शाहमीर...

सूफी आंदोलन

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सूफी आंदोलन जो लोग सूफी संतो से सदस्यता ग्रहण करते थे उन्हें मुरीद कहा जाता था। सूफी जिन आश्रमों में निवास करते थे उन्हें खानकाह या मठ कहा जाता था। सूफियों के धर्म संघ बा-शारा (ईस्लामी सिद्धांत के समर्थक) और बे-शारा (इस्लामी सिद्धांत से बंधे नहीं) में विभाजित थे। भारत में चिश्ती एवं सुहरावर्दी सिलसिले की जड़े काफी गहरी थी। 1192 ई में मुहम्मद गौरी के साथ ख्वाजा मुईनुद्धीन चिश्ती भारत आये. इन्होने यहाँ चिश्ती परम्परा के कुछ अन्य महत्वपूर्ण संत थे वह निजामुद्दीन औलिया, बाबा फरीद, बख्तियार काफी और शेख बुरहानुद्दीन गरीब. बाबा फरीद बख्तियार काकी के शिष्य थे. बाबा फरीद की रचनाये गुरु ग्रन्थ साहिब में शामिल है. बाबा फरीद के दो महत्वपूर्ण शिष्य थे – हजरत निजामुद्दीन औलिया और हजरत अलाउद्दीन साबिर. हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवनकाल में दिल्ली के सात सुल्तानों का शासन देखा था. निजामुद्दीन औलिया के प्रमुख शिष्य थे. शेख सलीम चिश्ती, अमीर खुसरो, अमीर हसन देहलवी. शेख बुरहानुद्दीन गरीब ने 1340 ई दक्षिण भारत के क्षेत्रों में चिश्ती सम्प्रदाय की शुरुआत की और दौलताबाद को मुख्य केंद...

भक्ति आन्दोलन

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भक्ति आन्दोलन छठी शताब्दी ई में भक्ति आन्दोलन का शुरुआत तमिल क्षेत्र से हुई जो कर्नाटक और महाराष्ट्र में फैल गई. भक्ति आन्दोलन का विकास बारह अलवार वैष्णव संतो और तिरसठ नयनार शैव संतों ने किया. शैव संत अप्पार ने पल्लव राजा महेंद्रवर्मन को शैवधर्म स्वीकार करवाया. भक्ति कवि संतो को संत कहा जाता था. और उनके दो समूह वैष्णव संत थे जो महाराष्ट्र में लोकप्रिय हुए. वे भगवान विठोबा के भक्त थे. विठोबा पंथ के संत और उनके अनुयायी वरकरी या तीर्थयात्री पंथ कहलाते थे. क्योकि हर वर्ष पंढरपुर की तीर्थ यात्रा पर जाते थे. दूसरा समूह पंजाब और राजस्थान के हिंदी भाषी क्षेत्रो में सक्रिय था और इसकी निर्गुण भक्ति हर विशेषता से परे भगवान की भक्ति में आस्था थी. भक्ति आन्दोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में बाहरवी शताब्दी के प्रारम्भ में रामानंद के द्वारा लाया गया. बंगाल में कृष्ण भक्ति की प्रारम्भिक प्रतिपादकों में विद्यापति ठाकुर और चंडीदास थे. रामानंद की शिक्षा से दो सम्प्रदायों का प्रादुर्भाव हुआ, सगुण जो पुनर्जन्म में विश्वास रखता है और निर्गुण जो भगवान के निराकार रूप को पूजता है. सगुण सम्...

मुगल साम्राज्य- बाबर , हुमायूँ , शेरशाह

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मुगल साम्राज्य मुगल साम्राज्य वंश का संस्थापक बाबर था. बाबर और उत्तरवर्ती मुग़ल शासक तुर्क और सुन्नी मुसलमान थे. बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था. मुगल साम्राज्य में बाबर का इतिहास 1526-1530 ई) बाबर का जन्म 24 फ़रवरी 1483 ई में हुआ था. बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे. बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई में बैठा. बाबर ने 1507 ई में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी. बाबर के चार पुत्र थे, हुमांयू, कामरान, असकारी तथा हिंदाल. बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया. बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था. इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया. बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खां लोदी और मेवाड़ के शासक राणा साँगा ने दिया था. मुगल साम्राज्य में बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –  पानीपत का प्रथम युद्ध – 21  अप्रैल, 1526 ई को इब्राहि...

मुगल साम्राज्य में अकबर का इतिहास (1542-1605 ई)

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मुगल साम्राज्य में अकबर का इतिहास (1542-1605 ई) सम्राट अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई का हमीदा बानू बेगम के गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ. अकबर का राज्याभिषेक 14 फ़रवरी 1556 ई को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ. अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ इरानी विद्वान था. वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर वादशाही गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा. बैरम खाँ 1556 से 1560 ई तक अकबर का संरक्षण रहा. पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर 1556 ई को अकबर और हेमू के बीच हुई थी. मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ हत्या कर दी. मई 1562 ई में अकबर ने हरम दल से अपने को पूर्णत: मुक्त कर लिया. हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ई को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ. इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ. इस युद्ध में मुग़ल सेना का नेतृत्व मान सिंह और आसफ खाँ ने किया था. अकबर का सेनापति मानसिंह था. महाराणा प्रताप की मृत्यु 57 वर्ष की उम्र में 19 फ़रवरी 1597 ई में हो गई. गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने ...

मुगल साम्राज्य में जहाँगीर का इतिहास (1605-1627 ई)

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जहाँगीर का इतिहास (1605-1627 ई) अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ, जो 3 नवम्बर 1605 ई को नुरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा. जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 ई में हुआ था. अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा. जहाँगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है. यह जंजीर सोने की बनी थी. जो आगरे के किले के शाहबुर्ज और यमुना तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाई हुई थी. जहाँगीर द्वारा शुरु की गई तुजुके-ए-जहाँगीरी नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिन्द खाँ को है. जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरों ने 1606 में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. खुसरो और जहाँगीर की सेना के बीच युद्ध जालन्धर के निकट भैरावल नामक मैदान में हुआ. खुसरों को पकड़कर कैद में डाल दिया गया. खुसरों की सहायता देने के कारण जहाँगीर ने सिक्को के 5 वे गुरु अर्जुनदेव को फाँसी दिलवा दी. खुसरों गुरु से गोइंदवाल में मिला था. अहमदनगर के वजीर मलिक अम्बर के विरुद्ध सफलता से खुश होकर जहाँगीर ने खुर्रम को शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की. 1622 ई में कंधार म...

मुगल साम्राज्य में शाहजहाँ का इतिहास (1627 – 1657 ई)

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मुगल साम्राज्य में शाहजहाँ का इतिहास (1627 – 1657 ई) जहाँगीर के बाद सिंहासन पर शाहजहाँ बैठा. जौधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी 1592 ई को खुर्रम शाहजहाँ का जन्म लाहौर में हुआ था. 1612 ई में खुर्रम का विवाह आसफ खाँ की पुत्री अरजुमंद बानो बेगम से हुआ, जिसे शाहजहाँ ने मिलिका-ए-जमानी की उपाधि प्रदान की. 1631 ई में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई. 24 फ़रवरी 1628 ई को शाहजहाँ आगरे में अबुल मुज्जफर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा. शाहजहाँ ने आसफ खाँ को वजीर पद प्रदान किया. इसने नूरजहाँ को दो लाख रुपए प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने दिया, जहाँ 1645 ई में उसकी मृत्यु हो गई. अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण आगरे में उसकी कब्र के ऊपर करवाया. ताजमहल का निर्माण करनेवाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था. मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था. इसका मुख्य कलाकार वे बादल खाँ था. शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयुग कहा जाता है. शाहजहाँ द्वारा ब...

मुगल साम्राज्य में औरंगजेब का इतिहास (1658 – 1707 ई)

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मुगल साम्राज्य में औरंगजेब का इतिहास (1658 – 1707 ई) औरंगजेब का इतिहास उसके जन्म से है औरंगजेब  का जन्म 3 नवम्बर 1618 ई के दोहाद नामक स्थान पर हुआ था. औरंगजेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहाँ के पास बिता. 18 मई 1637 ई को फारस के राजघराने की दिलरास बानो बेगम के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ. आगरा पर कब्ज़ा कर जल्दबाजी में औरंगजेब में अपना राज्याभिषेक अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर की उपाधि से 31 जुलाई 1658 को करवाया. देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई 1659 को औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और शाहजहाँ महल में जून 1659 को दूसरी बार राज्याभिषेक करवाया. औरंगजेब के गुरु थे – मीर मुहम्मद हकीम औरंगजेब सुन्नी धर्म को मानता था, उसे जिन्दा पीर कहा जाता था. इस्लाम नहीं स्वीकार करने के कारण सिक्खों के 9 वे गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंगजेब ने करवा दी थी. जय सिंह और शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि 22 जून 1665 ई को सम्पन्न हुई. 22 मई 1666 ई को आगरे के किले के दीवाने आम में औरंगजेब के समक्ष शिवाजी उपस्थित हुए. यहाँ शिवाजी को कैद कर जयपुर भवन में रखा गया. और...

मुगल शासन व्यवस्था

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मुगल शासन व्यवस्था मुगल शासन में मंत्रि परिषद को विजारत कहा जाता था. बाबर के शासनकाल में वजीर पद काफी महत्वपूर्ण था. सम्राट के बाद शासन के कार्यों को संचालित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी वकील था. जिसके कर्तव्यों को अकबर ने दीवान, मीरबख्शी, सद्र-उस-सद्र और मीर समन में विभाजित कर दिया. औरंगजेब के समय में असद खान ने सर्वाधिक 31 वर्षो तक दीवान के पद पर कार्य किया. मीरबक्शी द्वारा सरखत नाम के पत्र पर हस्ताक्षर के बाद ही सेना को हर महीने वेतन मिल पाता था. जब कभी सद्र न्याय विभाग के प्रमुख का कार्य करता था, तब उसे काजी कहा जाता था. लगानहीन भूमि का निरिक्षण सद्र करता था. सम्राट के घरेलु विभागों का प्रधान मीर समान कहलाता था. सूचना और गुप्तचर विभाग का प्रधान दरोगा-ए-डाक चौकी कहलाता था. शरियत के प्रतिकूल कार्य करनेवालों को रोकना, आम जनता के दुश्चरित्रता से बचाने का कार्य मुहतसिब नामक अधिकारी करता था. प्रशासन की दृष्टि से मुग़ल साम्राज्य का बटवारा सूबों में, सूबों का सरकार में, सरकार को परगना या महाल में, महाल का जिला या दस्तूर में और दस्तूर ग्राम में बटें थे. प्रशासन की ...